Jamghat kab hai 2024, jamghat kya hota hai: नवाबों के शहर लखनऊ में दीपावली के अगले दिन पटाखे नहीं छोड़े जाते बल्कि पतंग बाजी की जाते हैं । जिसे जमघट के नाम से जाना जाता है। जमघट के दिन लोग सुबह से ही अपने घर की छत पर जमा हो जाते हैं और पतंग उड़ाते हैं। साथ ही शहर में हो रही पतंगबाजी प्रतियोगिता में भी हिस्सा लेते हैं।
इस बार जमघट दीपावली के अगले दिन यानी 1 नवंबर को आएगा। सारे धर्म के लोग इस त्यौहार को सेलिब्रेट करते हैं। चारों ओर इस दिन यह काटा वह कांटा का शोर गूंजता रहता है।
Jamghat kab hai | jamghat kis din hai
Jamghat Festival की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। दरअसल प्राचीन काल में लखनऊ के नवाब दीपावली के अगले दिन शाही पतंग उड़ाया करते थे। तभी से वहां पर जमघट फेस्टिवल सेलिब्रेट होने लग गया था। पतंगबाजी को नवाबों का शोक कहा जाता है।
नवाब प्राचीन काल में अपनी पतंग को दुल्हन की तरह सजाया करते थे और उस पर सोने और चांदी के तारों की कढ़ाई की जाती थी। इसलिए यह पतंग कटकर जिसकी भी छत पर गिर जाती थी उस दिन उस घर में पुलाव बनता था। लखनऊ में बड़े-बड़े आयोजन पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता भी रखते हैं।
jamghat kyu manaya jata hai
लखनऊ में जमघट के दिन सभी उम्र के लोग पतंग उड़ाते हैं। सुबह से ही यहां पर “यह काटा वह काटा” का शोर गूंजने लग जाता है। यही नहीं अगर किसी की पतंग कट जाती है तो वहां पर नाच गाना भी होता है। कई बार तो लोग एक दूसरे की पतंग काटने की शर्त तक लगा लेते हैं। देश का एकमात्र लखनऊ ऐसा शहर है जहां पर दीपावली के अगले दिन पतंग बाजी की जाती है।
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सभी धर्म के लोग एक साथ मिलकर उड़ाते हैं पतंग
जमघट फेस्टिवल के दिन सभी धर्म के लोग एक साथ मिलकर पतंग उड़ाते हैं यहां की यही खास बात है कि इस दिन हिंदू, मुस्लिम, सिख इसाई सब लोग मिलकर पतंग उड़ाते हुए नजर आते हैं। इस फेस्टिवल में धार्मिक सदभाव भी देखने को मिलता है। जमघट फेस्टिवल का जमावड़ा देखने में काफी दिलचस्प होता है।
लखनऊ के लोगों का कहना है कि वह इस दिन का बहुत बेसब्री से इंतजार करते हैं। जो लोग बाहर रहते हैं वह भी इस दिन घर पर जरूर आते हैं और पतंगबाजी का लुफ्त उठाते हैं।